‘व्योमकेश दरवेश’ पुस्तक के समर्पण पृष्ठ पर लिखा हुआ हैµ‘विक्रमाजीत सिंह सनातन धर्म महाविद्यालय, कानपुर के संस्कृत अध्यापक प- रामसुरेश त्रिपाठी को जो मुझे आचार्य द्विवेदी के पास ले गए’। प- रामसुरेश त्रिपाठी ने हजारी प्रसाद द्विवेदी का जब पहली बार जिक्र किया तो जो बोले, वह विश्वनाथ त्रिपाठी पर भी लागू होती हैंµ‘हां, हां मैं द्विवेदी जी को जानता हूं, उनके भाई ....
