‘व्योमकेश दरवेश’ आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की केवल जीवनी नहीं है। कारण, जीवनी के लिए जिस तटस्थता की दरकार होती है विश्वनाथ त्रिपाठी जी ने आरंभ में ही अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है कि वे आचार्य प्रवर के मामले में तटस्थ नहीं रह सकतेµ‘यह किताब चाहे अच्छी हो या बुरीµइसका रूप कुछ भी हो संस्मरण या जीवनी या संस्मरणात्मक जीवनी, यह तटस्थतापूर्वक नहीं लिखी गई है। मैं अ....
