अरुंधति

सगुण भक्ति का लोकवादी पाठ

हिंदी आलोचना के पटल पर विश्वनाथ त्रिपाठी की उपस्थिति इसलिए भी विशिष्ट हैं क्योंकि उन्होंने भारतीय सामाजिकता और साहित्यिक अभिव्यक्तियों की जैसी सुरुचिपूर्ण पड़ताल की है वह विरल है। विश्वनाथ त्रिपाठी का रचनात्मक दखल विविधतापूर्ण है, यहां तक कि उनकी आलोचना की बानगी में भी रचनात्मक संवेदना प्रवाह्यमान है। विश्वनाथ त्रिपाठी ने अपने लेखन की शुरुआत आलोचना की ठोस जमीन स....

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