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कुछ नवीन ब्राह्मण आलोचक और संस्मरणकार राजकमल चौधरी को जनेऊ पहनाने की कोशिश या कवायद कर रहे हैं, जबकि राजकमल चौधरी हिंदी का प्रथम रिबेल अथवा अवांगार्द लेखक था।
जनेऊ को तो राजकमल ने बहुत पहले ताख पर रख दिया था। फेंका इसलिए नहीं कि देसी ठर्रे की बोतल का काग राजकमल जुन्नार से खोलता था। गांजे की चिलम की डाट भी जनेऊ के धागों से बनाने की कला राजकमल चौधरी को खूब आती थी!
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