(पत्रिका के जुलाई अंक में प्रकाशित आलेख ‘भारत विभाजन और इतिहास के विकृत स्वरूप’ पर
सदफ़ फातिमा की प्रतिक्रिया)
र्दू अदब के अंक में (पृ 130 पर) https://share.google/MzzfEvLui5y2uX37M जनाब अनिल माहेश्वरी साहब के लेख में जो सच्चाइयां उभारी गई हैं वे संबंधित राजनीतिक और सामाजिक वातावरण की रौशनी में इसलिए और भी बहस-तलब हो जाती हैं कि इससे हमें उन ऐतिहासिक वास्तविकता....
