तब मैं पटना में एम-ए- कर रहा था। दरभंगा हाउस से। इंग्लिश लिटरेचर में। पटना विश्वविद्यालय का पीजी डिपार्टमेंट दरभंगा हाउस में ही था।
दरभंगा हाउस बिल्कुल गंगा किनारे था। एम-ए- की क्लास अटेंड करने का न तो बहुत मन रहता था, न तो क्लासेज बहुत नियमित होती थी। न मैं नियमित जाता था। लड़कियां बहुत नियमित थीं। उनकी तादाद भी बहुत अधिक थी। छुपाऊं क्यों, सच तो ये है कि जब तक श्वेता झा र....
