ललन चतुर्वेदी

ललन चतुर्वेदी की कविताएं

भाषा बहुरूपिया

दूर  देश की भाषा को नजदीक से समझो
समझते हो जैसे इंतजार की भाषा, प्यार की भाषा
क्यों बनाना किसी से दूरी, क्यों पालना घृणा

मीठी भाषा में ही रची जातीं हैं तमाम साजिशें
सीख लो भाषा को डिकोड करना
बहुअर्थी होते जा रहे हैं अनेक शब्द
कुछ तो पुराने चोलों में प्रकट हो रहे हैं 
नए अर्थ के साथ

Subscribe Now

पाखी वीडियो


दि संडे पोस्ट

पूछताछ करें