प्रवीण ‘बनजारा’

प्रवीण ‘बनजारा’ की कविताएं

शहर तुम कैसे हो 

श्हर तुम 
कैसे हो 
छोटा हुआ शहर तो 
हम ढूंढते हैं
खाली सड़कों पर 
दिल लगाने के उपाय

शहर बड़ा हुआ तो 
भटकते हैं
जुटाने को 
एकांत का 
जुगाड़ 


आषाढ़ का आना

तेज हवा में 
नीम टहनियां 
नाचती रहीं 
हर्षित उल्लसित
कभी उन्मुक्त हो <....

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