शैलेंद्र शैल

शैलेंद्र शैल की कविताएं

सोच
   
अजीब बात है 
अब की बार मेरी हत्या की साजिश 
मेरे दुश्मन नहीं, मेरे दोस्त रच रहे हैं 
वे अपनी तलवारों की धार पैनी कर रहे हैं 
और एक मैं हूं कि जिसके पास 
अपनी रक्षा के लिए 
एक ढाल तक नहीं 

मुझे पता है 
वे वार पीछे से करेंगे 
सामने आकर मुझसे आंख नहीं मिलाएंगे 
वे मेरी आंखों में झांकेंगे 
तो मुझे बे....

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