बन गए मीत अरि
संघर्ष ही जीवन की गाथा रही
सुना दूं दास्तां अनकही
कंकर-कंकर चुनकर
आशियाना बसाया
ढहा दिया अपनों ने
यही जग की रीत रही
रातों जगकर ख्वाब गढ़े
सुखमय जीवन के तार कसे
झंकृत कर दिया लोगों ने
यही जग की रीत रही।
दुखभरी जीवन कहानी रही
बता दूं क्या जो अनकही?
उम्रभर जिनकी पी....
