सावित्री बड़ाईक

सावित्री बड़ाईक की कविताएं

 गीतों में जीवित रहेंगे
                    
मैं  खेतों में धान रोपती रहूंगी
तुम खेत जोतते रहना
सींचते रहना
लहलहाती फसलें हमें
उदास नहीं रहने देंगी
हम गीत गाते रहेंगे
हम फसलों में ही जीवित रहेंगे
दिसुम में अनंत तक

मैं तुमसे इस सभ्यता के अंत तक 
विवाह करना चाहती हूं
मांदर और नगाड़े की ताल में
तुम्हारे सा....

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