घीसू माधव घर के सामने लगे नीम के पेड़ कि छांह में बैठे हैं, ---बैठे क्या हैं पड़े हैं। पड़े इसलिए हैं कि वे घीसू माधव हैं, आखिर परंपरा भी कोई चीज होती है। समय बदल गया है, लेकिन इसमें उनकी कोई गलती नहीं है। आलसी तो वे इसलिए हैं कि ईश्वर ने उन्हें इसी काम के लिए बनाया है। कामचोर और मतकमाऊ होना उनकी स्वभावगत मजबूरी है। जब अस्सी करोड़ मुफ्रत का राशन ले रहे हैं तो इनका हक पहले है।
दोनो....
