स्मृतियों के दस्तरखान में यूं तो इतनी स्मृतियां बैठी हुईं हैं कि किसके सामने क्या परोसूं, लेकिन सिनेमा को ही इस बार चुना, क्योंकि ओटीटी और नेटफ्रिलक्स के जमाने में जब बच्चे मोबाइल और कंप्यूटर में ही फिल्म देखना पसंद करते हैं, उन्हें सिनेमा और सिनेमाघरों के पीछे की कहानियों से भी रू-ब-रू करवाऊं।
रांची के पास एक बहुत ही रमणीक स्थान है पतरातू। 80-90 के बीच का दौर रहा होगा....
