संजय चतुर्वेदी

संजय चतुर्वेदी की गजलें

(1)

घर के चौकीदार हुए दादा-दादी
सबके पहरेदार हुए दादा-दादी

बीमा की फसलें पक कर तैयार हुईं
करने को तैयार हुए दादा-दादी
कौन खरीदे नहीं रहे पढ़ने वाले
उर्दू के अखबार हुए दादा-दादी

घर में सारे सुख लाए बेटे पोते
दुख के जिम्मेदार हुए दादा-दादी
उनके ही गहने बेचे उनकी लाठी
कभी अगर बीमार हुए दादा-दादी

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