आती-जाती प्रेमिकाएं
शरद की ठंडी में
विरहित हृदय को
याद आती प्रेमिकाएं
शरद में गुदगुदाती हवा-सी
आती-जाती प्रेमिकाएं
चंद्र-सी सुनहली आभा में
अमिय-रस घोले
मादक पेय से झूमती
शरद के जल-सी शीतल-मौन
मत-गयंद से स्वप्न पाले
शरद में आती हैं प्रेमिकाएं
चांदनी सम रजत-रश्मियों-सी
खुले आकाश तले रमण करने
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