हम होमोफोबिक और ट्रांसफोबिक दुनिया में रहते हैं। हमें लगातार कुछ इच्छाओं, कुछ शरीरों और कुछ भविष्यों को नज़र-अंदाज़ करना सिऽाया जाता है और हम यही करते आ रहे हैं, इसे ही सही मानते आ रहे हैं। विचित्रता की सुंदरता उसकी सृजनात्मकता में होती है, पहली बार ‘क्वीयर’ शब्द सुनने-समझने के बाद मेरे ज़ेहन में यही भाव उभरा। लंबे समय से मनुष्य को स्त्री-पुरुष बाइनरी में देऽते रहने से छ....
