हिंदी को ‘गदल’ जैसी अविस्मरणीय कहानी और सिंधु घाटी सभ्यता को समझने में सहायक ‘मुर्दों का टीला’ जैसा उपन्यास देने वाले विलक्षण रचनाकार रांगेय राघव (17 जनवरी 1923-12 सितंबर 1962) को उनकी जयंती पर याद किया गया। इनके पूर्वज काफी पहले दक्षिण से उत्तर भारत आ बसे थे। रांगेय का जन्म आगरा में हुआ। साहित्य को समर्पित रांगेय अपने आखिरी और गंभीर बीमारी के दिनों में भी लेखन और चित्रक....
