प्रियदर्शन

अपने समाज में अजनबी बनते हम

इन दिनों आल्बेयर कामू का उपन्यास ‘आउटसाइडर’- जिसका एक संस्करण ‘स्ट्रेंजर’ के नाम से भी है और जिसका हिंदी अनुवाद ‘अजनबी’ के नाम से प्रकाशित है-मुझे कुछ ज्यादा ही याद आने लगा है। उपन्यास जहां शुरू होता है वहां नायक को अपनी मां की मृत्यु की तार मिलता है। उसके भीतर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं जागती। वह उदास है, लेकिन अपनी उदासी को ठीक-से अनुभव या व्यक्त नहीं कर पा र....

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