अपने समय को रेखांकित करने से कोई भी रचना धरोहर का रूप ग्रहण करती है। हर लेखक की इच्छा होती है कि वह अपने समय और उसकी प्रमुख प्रवृत्तियों को रचना का आधार बनाये, लेकिन यही उसकी समझदारी के मूल्यांकन का क्षण भी होता है। समय मूल्यवान होता है पर उसे देखने समझने की दृष्टि उससे भी अधिक मूल्यवान होती है। हर युग में कई प्रवृत्तियां एक साथ विद्यमान होती हैं, उनमें से चयन करने का सा....
