यश मालवीय

यश मालवीय की कविताएं

कैसे नए जमाने आए

कैसे नए जमाने आए
लेकर घाव पुराने आए

सोई टीस जगाने आए
पिछली चोट दुऽाने आए 

हमको हमसे ही मिलवाने
भूले बिसरे गाने आए 

शुभचिंतक ही समझें शायद 
जाने क्या समझाने आए 

बात करे क्या कोई उनसे
केवल बात बनाने आए 

उनके मन में जाने क्या ह....

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