कहा जाता है कि कभी गालिब ने मीर को याद करते हुए कहा थाµ
रेख्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो गालिब
कहते हैं अगले जमाने में कोई ‘मीर’ भी था।
इस सिलसिले में वक्त की तरतीब तो वही मगर मिर्जा जो कन्फेस कर गए_ निर्मला जैन जी को, मेरा मानना है कि, ऐसा कुछ कहने की जरूरत न पड़े। वजह सिर्फ यही कि यशपाल के तीन खंडों का ‘सिंहावलोकन’ हो या फिर हरिवंश राय बच्चन की चार भाग व....
