रेनू त्रिपाठी

शहरबीती की अनूठी दास्तान

किसी भी संस्मरणात्मक कृति में आत्मीय क्षणों की जीवंत प्रस्तुति पाठकों को सहज आकृष्ट कर लेती है। जब यह आत्मीय संबंध व्यक्ति से अधिक किसी स्थान से स्थापित हो जाता है तो वह अपनी पूरी वास्तविकता के साथ एक चरित्र बन जाता है जिसकी जड़ें हमारे जीवन से गहरे जुड़ी होती हैं। वस्तुतः व्यक्ति से हटकर कोई स्थान जब एक चरित्र बनता है तो रचना की देयता और जवाबदेही दोनों बढ़ जाती है। इस रचन....

Subscribe Now

पाखी वीडियो


दि संडे पोस्ट

पूछताछ करें