डॉ- निर्मला जैन ने आलोचक के समक्ष आने वाली चुनौतियों के बारे में लिखा है किµ‘आलोचक के सामने बड़ी चुनौती है औपनिवेशिक मानसिकता से उबरकर जातीय जमीन पर सैद्धांतिकी विकसित करने की। आलोचना का देसी मॉडल तैयार करने की।’ (निर्मला जैन, कथा और समय का सच, किताबघर प्रकाशन, पृष्ठ 12) हिंदी आलोचना की जातीय जमीन और उसका ‘देसी मॉडल’ विकसित करने वाले आलोचकों की परंपरा में निर्मला ज....
