एक आलोचक के रूप में निर्मला जैन का अध्ययन-क्षेत्र भारतीय एवं पाश्चात्य काव्यशास्त्र, साहित्य सिद्धांत, सौंदर्यशास्त्र, कविता आलोचना, कथालोचना और अनुवाद का रहा है। वह एक बेहतरीन शिक्षक, आलोचक और स्पष्ट वक्ता के तौर पर तो जानी ही जाती हैं, साहित्य और जीवन में किसी लाग-लपेट से दूर, स्वतंत्र मौलिक चिंतन की पक्षधर रही हैं। उनका आत्मचिंतन, साहित्य-दृष्टि स्वतंत्र तो है, पर उन....
