दिलचस्प बात यह है कि देश के दूसरे राज्यों में राजनीतिक उथल-पुथल के बावजूद दिल्ली के कार्यक्रम अपनी चाल से चलते रहते हैं। केंद्र में तख्ता पलटने पर भी इन योजनाओं में कोई परिवर्तन नहीं होता। हर पार्टी की सरकार ऐसे आयोजन का श्रेय अपने खाते में डालकर बहती गंगा में हाथ धो लेती है।
दिल्ली शहर की बनावट और संस्कृति पर आर्थिक उदारीकरण की नीतियों का प्रभाव अलक्षित ढंग से, पर ग....
