निर्मला जैन की ‘अनुवाद मीमांसा’ निर्मला जी की अनुवाद संबंधी परिकल्पनाओं को समझने का प्रयास है। इस किताब में वे मुख्य रूप से ‘अनुवादः क्या, क्यों और कैसे?’, ‘विज्ञान और तकनीकी’, ‘अनुवाद और सांस्कृतिक आदान-प्रदान’, ‘अनुवाद और मानविकी (दर्शन, ललित कलाएं आदि)’ और ‘सृजनात्मक साहित्य के अनुवाद की समस्याएं’ पर अपने विचार प्रकट करती हैं।
अनुवाद निर्मला ज....
