अमित साव

सहज संप्रेषणीयता की मिसाल 

भारतीय साहित्य-चिंतन की तरह पाश्चात्य साहित्य-चिंतन की भी एक सुदृढ़ परंपरा रही है। भारतीय साहित्य चिंतकों ने भारतीय साहित्य का अध्ययन करने के साथ-साथ पाश्चात्य साहित्य का भी अध्ययन किया और उसका अनुवाद भारतीय भाषाओं में उपलब्ध करवाया। इस अध्ययन के दौरान उन्होंने पाश्चात्य साहित्यकारों एवं उनकी कृतियों पर सहज भाषा में अपने मंतव्यों को रखते हुए उस पर टीका-टिप्पणी भी क....

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