ठंडी नम हवा और झीने परदे से छन कर आती सुबह की धूप, गुनगुनी-सी और बिस्तर की सलवटों में अंगड़ाई लेकर उठना।
जिंदगी की रुमानियत जबसे समझनी शुरू की नायिका को ऐसी ही सुबह उठते देखा। पता नहीं मेरी सुबह इतनी अंधेरी क्यों होती है। या तो मैं मेरी जिंदगी की नायिका नहीं या कि परदे मोटे हैं या फिर इस शहर में ठंडी हवाएं कम चलती हैं।
बिस्तर पर पड़े-पड़े हाथ आदतन पहला अलार्म बजने से पह....
