वंदना भारती

वंदना भारती की तीन कविताएं

पीटते देखना एक निहत्थे का 

धर्म और अधर्म के बीच 
एक बारीक रेखा है हृदय के विश्वास का 
युधिष्ठिर ने जब कहा कि 
अश्वस्थामा हतो नरो वा कुंजरो वा
तब कृष्ण के शंख ध्वनि के बीच
द्रोणाचार्य का अटल विश्वास युधिष्ठिर के धर्म पर था
विश्वास जो जनता का धर्म में
सरकार का जनता में 
किसान का अन्न में 
भूखे का भोजन में 
न्याय का....

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