अनुभूति गुप्ता

ममता किरण की ग़ज़लें

(1)

खुशियों को और जाकर कहां ढूंढिए
इनको अपनों के ही दरमियां ढूंढिए

दी चुनौती है इक जलते दीपक ने ये
जो बुझा पाएं वो आंधियां ढूंढिए

पहले छिपता है फिर बोल देता भी है
मैं छिपा हूं कहां, मुझको मां ढूंढिए

वादे रहबर ने पूरे किए हो जहां
जाइए ऐसी कुछ बस्तियां ढूंढिए

नफरतों का यही....

Subscribe Now

पाखी वीडियो


दि संडे पोस्ट

पूछताछ करें