अंजना वर्मा

 मुसाफिरखाना

इधर देवेश को अपने काम से बार-बार नैनीताल जाना पड़ रहा था। पहली बार उसका प्रोग्राम अचानक ही तब बना था जब घुमक्कड़ी का मौसम अपने शीर्ष पर चल रहा था। काठगोदाम से टैक्सी लेते हुए 
चिडि़या के पंख-सा उल्लास उसके मन में समा गया। वह सोच रहा था कि वह अच्छे होटल में ठहरेगा और काम के साथ-साथ प्रकृति का भी आनंद उठाएगा। कुछ घूमना-फिरना भी करेगा। टैक्सी से ऊपर जाते हुए अपने चारों ओर ....

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