सुशांत सुप्रिय

हमला

बाईसवीं सदी में एक दिन देश में गजब हो गया। सुबह लोग सो कर उठे तो देखा कि चारों ओर तितलियां ही तितलियां हैं। गांवों, कस्बों, शहरों, महानगरों में जिधर देखो उधर तितलियां ही तितलियां थीं। घरों में तितलियां थीं। बाजारों में तितलियां थीं। खेतों में तितलियां थीं। आंगनों में तितलियां थीं। गलियों-मोहल्लों में, सड़कों-चौराहों पर करोड़ों-अरबों की संख्या में तितलियां ही तितलिया....

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