ऋतुएं परिवर्तित हो रही हैं। अंजीला ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। आज थोड़ी-सी गर्मी लगी तो चलते-चलते सड़क के किनारे एक वृक्ष के नीचे क्षण भर को ठिठककर ऊपर आसमान की ओर देखा।
---हवाएं शनैः शनैः कुछ गुनगुनाती हुई-सी चल रही थीं। वृक्षोें से गिरते पीले पत्ते हवाओं के संग इधर-उधर उड़ रहे थे। कहीं सड़क पर तो कहीं सड़क के किनारे बेतरतीब उगी झाडि़यों पर।
---ये तो वसं....
