प्रेम शशांक

संस्मरण के बहाने कथा का नया आस्वाद

यह एक संयोग है कि संस्मरण विधा की समीक्ष्य पुस्तक के माध्यम से कथाकार अशोक अग्रवाल को पहली बार पढ़ने का अवसर मिला। इस पुस्तक के पाठ के दौरान एक किस्सागो से जिस तरह से औचक मुलाकात हुई है वह एक दुर्लभ अनुभव है। संस्मरण विधा की बहुत सी किताबें पढ़ी हैं लेकिन यह किताब इस विधा को एक अलग ऊंचाई देती नजर आती है। जिन व्यक्तियों पर संस्मरण लिखे गए हैं ये संस्मरण केवल निजी संबंधों तक ....

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