‘फल्गु किनारे’ काव्य-संग्रह साहित्य की दुनिया में शब्द-सत्ता स्थापित करने के लिए युवा कवि चंद्रबिंद की कारगर पहल है। आज जबकि लिखे हुए शब्दों की सत्ता कमजोर होती जा रही है तो आदमी और आदमीयत भी लुप्त होने के कगार पर है। आज के समय में दुनिया के लगभग सभी देश और लोग उपभोक्तावादी बन गए हैं। भद्र-संस्कृति ने श्रम-संस्कृति को घायल कर दिया है। घायल जीवन-अंकुर का भविष्य अंधेरे ....
