सेनानी करो प्रयाण अभय/भावी इतिहास तुम्हारा है/ये नखत अमा के बुझते हैं/सारा आकाश तुम्हारा है।
1946 में जयप्रकाश नारायण जब जेल से छूटकर आए, तब पटना में आयोजित एक सम्मान-सभा में दिनकर ने यह कविता गाई थी। इस कविता की तासीर कुछ ऐसी है कि यह कई अवसरों पर उद्धृत की जाती है। 121वीं जयंती पर (11 अक्टूबर 2023) लोकनायक जयप्रकाश की चर्चा सोशल मीडिया पर दिखी। भारत छोड़ो आंदोलन और भूदान आंदो....
