भारतीय न्यूज चैनलों के पत्रकारों के बारे में सुनियोजित तरीके से ये अफवाह फैलाई गई है कि वे अपनी गली के शेर हैं। वे केवल स्टूडियो के अंदर लड़ सकते हैं। उनमें इतना साहस नहीं है कि बाहर निकलकर दहाड़ें, पंजा लड़ाएं, अन्यायी और अत्याचारियों से जोर आजमाएं। दुर्भाग्य की बात है कि इस अफवाह को झूठे उदाहरणों से सच साबित किया जाता है। कहा जाता है कि मैदान-ए-जंग तो बहुत दूर, वे तो मणिपुर ....
