कस्तूरीलाल तागरा

कस्तूरीलाल तागरा की चार कविताएं

धर्मविहीन धार्मिकता

धर्म है और मनुष्यता गायब
तो धर्म, कैसा धर्म

किसी को दुख देकर
हक मार कर
किया अर्जित अनगिनत धन
और कुछ दान देकर बने दानवीर
किस श्रेणी में रखा जाए
उनके इस कथित सद्कर्म को

इस नाम या
उस नाम का धर्म अपनाने से
कैसे मिल सकती
मोक्ष या मगफिरत की गारंटी
करनी भी तो होगी
उसके अनु....

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