पंकज रंजन

पंकज रंजन की दो कविताएं

मेरी कैफियत

मुझे गर हो देखना
तुम अपनी निगाहों से देखना
दुनिया दिखाएगी तो 
मेरी कैफियत कुछ और होगी
मुझे गर हो तौलना 
तुम अपनी कसौटी पर तोलना
दुनिया बताएगी तो 
मेरी मिल्कियत कुछ और होगी
मेरा ईमान गर हो टटोलना
तुम अपने दिल से पूछना
दुनिया सुनाएगी तो 
मेरी शख्सियत कुछ और होगी
मेरा रंज
मेरा गम हो जानना
तुम मे....

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