वंदना पराशर

वंदना पराशर की पांच कविताएं

नयापन से उकताहट

एक दिन नयापन से भी उकताहट होने लगेगी
रोशनी की चकाचौंध से तंग आकर
कहीं एकांत को तलाशते हुए लोग
चांदनी रात को याद करते नजर आएंगे 

लोग एक बार फिर से
लौटना चाहेंगे
पुराने दिनों में 
वे ढूंढते हुए नजर आएंगे

गठरी में बांधकर रखी
अपने उन्हीं पुरानी चीजों को
जिसे नए के आकर्षण में
....

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