संजय अलंग

संजय अलंग की कविताएं

एक अलग टुकड़ा आसमान का

 
प्यार साथ चाहता है
नहीं चाहता वह
एक ही थाली में खाना
एक ही प्याली में पीना

प्यार के लिए
अवरोध नहीं चाहिए

उसे चाहिए खुलापन
खाने को अलग थाली
पीने को अलग प्याली
एक अलग टुकड़ा
आसमान का।

सिंधियों के लिए

मेरे पिता चलते चले गए
दूर तक
उस चलने का अंत नहीं था
नीचे जमीन नहीं थ....

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