रंजना जायसवाल

ऊपर जाती सीढ़ियां

एक...दो...तीन...चार...पांच...छह...सात...आठ...शायद नौ भी? शायद इसलिए क्योंकि आठ के आगे नवीं सीढ़ी नीचे से दिखाई नहीं देती थी। दिखता था तो सिर्फ एक गहन, स्याह अंधेरा। सुना था उस अंधेरे के पीछे था एक बड़ा-सा कमरा जहां रौशनी नहीं उससे भी कहीं ज्यादा था सघन अंधेरा...उस कमरे में रहने वाले लोगों की किस्मत को न जाने किस कालिख से पोत दिया था कि जिसका पक्का रंग किसी साबुन से नहीं छूट सकता था।
एक छो....

Subscribe Now

पाखी वीडियो


दि संडे पोस्ट

पूछताछ करें