कश्यप भैया ने तो यही कहा था कि कतर में जन्नत है। तेल के कुंए खोद-खोदकर उन्होंने मरुस्थल में भी सपना गढ़ लिया है। सपना, सपना, सपना, उन्होंने इतनी बार दोहराया था कि मैं सचमुच उस सपने को देखने के लिए लालायित हो गया था। फिर मां का बिगड़ता मानसिक संतुलन, डॉक्टरों की महंगी फीस, खत्म होते रुपयों के कारण मैं उकता भी गया था।
कुछ ही दिन पहले बाप को दिल का दौरा पड़ा था और हम कोई पुरानी हि....
