दो देह, एक गर्म रात... देहों की दरमियानी अपनी निरंतरता में बढ़ रही है। दोनों में एक मर्द है, दूसरी औरत। मर्दानी देह श्रमलीन है। श्रम का दाय मिलता है। आह्लाद के उरुज पर होने की ध्वनियां प्रस्फुटित होती हैं। दोनों देह आनंद में खो जाते हैं। आनंद का आवेग उतरता है। होंठों से जाम टकराते हैं। रात अपना पसीना बहाती है। हालांकि बात अलग है कि रात के आगोश में वह पसीना आखिरी च....
