इंदिरा दांगी

 हिसाब बराबर

जब तीसरी संतान भी लड़की ही जन्मी तो भोली का हृदय मारे डर के धड़कना ही भूल गया!
जचकी बड़े अस्पताल में हुई। जाते में तो ससुराल वाले साथ थे; पर कन्या-जन्म का समाचार पाते ही, बिना बताए गांव लौट गए। अस्पताल में अगले तीन दिनों तक जच्चा-बच्चा का सहारा छह और चार साल की दोनों बड़ी बेटियां ही रह गईं जो मां और नवजात बहन का हर काम दौड़-दौड़कर कर करती रहीं। आस-पास की जच्चाओं और नर्स बहनजियों स....

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