वर्ष 86 के एक रविवार मैं यमुना पार जाने का मन बनाता हूं। ऐसा पिता जी के विशेष आग्रह पर करता हूं। उन्होंने कहा है कि जनकवि नागार्जुन के उनको लिखे गए पत्र उनके बड़े बेटे शोभाकांत ने एक पत्र संकलन में शामिल करने के लिए मंगाए थे। उन्होंने वे ओरिजिनल ही भेज दिए थे। उन दिनों फोटो कॉपी कराने की इतनी सुविधा न थी। वे उन्हें अपनी एक बहुमूल्य थाती मानते थे। ये जनकवि ने उनकी कविताएं पढ़क....
