अनवर शमीम

अनवर शमीम की चार कविताएं

मुक्तिबोध की बीड़ी 

तपती दोपहरी में
एक थके हुए मजदूर को
नए बन रहे मकान की दीवार से उठंग कर
बीड़ी पीते हुए देखा
तो सहसा याद आ गए कवि मुक्तिबोध

उनकी तस्वीर का
वही जाना-पहचाना चेहरा आ गया सामने
जो अक्सर कवि बनते हुए 
हर किसी को दिखाई देता है

कवि ने किसी मजदूर की संगत में ही
सीखा होगा बीड़ी पीना
....

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