रमाकांत दायमा

रमाकांत दायमा की छह कविताएं


जिंदगी

तू  पहेली मत बन
जैसी है, वैसी ही रह

सीधी-साधी
रंग-रोगन, बनना-संवारना
लटके-झटके 
तेरे बस के नहीं
सब दिखावा है

उम्मीदें-इरादे
सुख-दुख
अच्छा-बुरा
सब मेरा है
नजरिया है

तुझे उसका बोझ उठाने की
जरूरत नहीं
तू बस चलती रह
सहजता से
सरलता से
मैं तेरे साथ हूं। Subscribe Now

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