शिवेंद्र कुमार मौर्य

उम्मीद और संभावनाओं की कविताएं

इक्कीसवीं सदी के कवियों में सपाटबयानी का क्रेज अधिक बढ़ा है। समय सापेक्ष विषय की विविधता पहले की अपेक्षा अब अधिक देखी जा सकती है। विमर्शों के इस दौर में छोटे-छोटे उपेक्षित विषयों पर कवियों का ध्यान अधिक गया है। यही कारण है कि कविता अर्थ विस्तार भले ही न पा सकी हो, लेकिन उसने विषय विस्तार खूब पाया है। यह समय अर्थ विस्तार की अपेक्षा विषय विस्तार का है। विषय विस्तार जितना अ....

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