‘एक ओर परदे में छिपा सामंतवाद है, दूसरी ओर बाजारवाद और पितृसत्ता का गठजोड़। दोनों में ही मनुष्यता को बचाए रखना दुष्कर है।’ ‘राजनीति का पूरा मुहावरा ही मर्दवादी है। देख लूंगा, सबक सिखा दूंगा---यह भाषा और व्यवहार हमारे जीवन का सहज हिस्सा बनते जा रहे हैं। उनमें छिपे स्त्री द्वेष के जरासीम अब या तो सहज स्वीकार्य होने लगे हैं या इनकी पहचान धूमिल हो रही है।’ ‘दलितों के आ....
